(ओमिक्राँन वायरस का परिचय)
(Omicron variant as a intro)
हाल ही में विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना वायरस के नए वेरिएंट का पता लगाया है और इसे वेरिएंट आफ कंसर्न नाम दिया गया है। ये वायरस सर्वप्रथम दक्षिण अफ्रीका में देखने को मिला था जिसे नाम दिया गया - ओमिक्राँन।।
आइए जानते हैं कि इसकी शुरुआत कैसे हुई, सबसे पहला केस कहाँ आया, ये वेरिएंट कितना खतरनाक साबित हो सकता है, इसके लक्षण क्या है और इससे बचने के उपाय आदि.......
(ओमिक्राँन की शुरुआत कहाँ से हुई और कब हुई)???
बात करें कि ओमिक्राँन की शुरुआत कहाँ से हुई तो इसकी शुरुआत दक्षिण अफ्रीका के प्रिटोरिया गौतेंग प्रांत से हुई थी।दक्षिण अफ्रीका से इस वेरिएंट का पहला केस 11 नवंबर 2021 को आया था और अब तक 16 देशों में ये एंट्री कर चुका है। WHO की तरफ से इस वेरिएंट को B.1.1.529 नाम दिया गया है। बहुत से रिसर्च के बाद ये पता चला है कि HIV से जो पीड़ित थे वहाँ से इस वेरिएंट की आशंका जताई जा रही है कि HIV पीड़ित जिनका इलाज नहीं किया गया था वहाँ से ये ओमिक्राँन विकसित हुआ है।
दक्षिण अफ्रीका के अलावा बेल्जियम, हांगकांग और इजरायल में मलाकिस से आने वाले यात्रियों में ये वेरिएंट पाया गया है।।
(कितना खतरनाक है ओमिक्राँन वेरिएंट)????
जैसा कि हम जानते हैं कि कोरोना वायरस के बहुत से वेरिएंट्स आए जैसे अल्फा,बीटा, गामा, डेल्टा ये सब आया लेकिन जो डेल्टा वेरिएंट था ये बहुत ही प्रभावी था ऐसा इसलिए क्योंकि ये 1-10 लोगों में फैल रहा था और डेल्टा वेरिएंट में प्रत्येक दिन 4 लाख के आसपास लोगों में इनफेक्शन पाए जाते थे।
डेल्टा के म्यूटेशन के बारे में बात करें तो लगभग 18 म्यूटेशन देखे गए हैं और ओमिक्राँन के स्पाईक प्रोटीन में 30 से ज्यादा या कह सकते हैं 50 म्यूटेशन हो चुके हैं। अगर हम इसपे ध्यान नहीं देंगे तो 90% ये तेजी से फैलेगा क्योंकि म्यूटेशन स
बहुत ज्यादा है। ओमिक्राँन से पीड़ित लोग 36-45 लोगों तक ट्रांसफर कर सकते हैं।
(भारत में ओमिक्राँन का कहर)
एक बार फिर से भारत को एक बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। कोरोना का ही एक नया वेरिएंट ओमिक्राँन ने भारत में भी अपनी दस्तक दे दी है। भारत में सर्वप्रथम कर्नाटक राज्य से दो केस देखने को मिले थे और अब तक भारत में ओमिक्राँन के कुल 653 केस सामने आ चुके हैं। सबसे ज्यादा मामले भारत के दो राज्यों में पाए गए हैं - महाराष्ट्र और दिल्ली।
जानकारी के लिए बता दें कि महाराष्ट्र में इस वायरस के 167 केस हैं और दिल्ली में 165 मामले आ चुके हैं। जबकि केरल में 57, गुजरात में 49, और तेलंगाना में 55 मामले सामने आए हैं।
(ओमिक्राँन के लक्षण)
इस वेरिएंट के लक्षण को अभी पूरी तरीके से पहचाना नहीं गया है और सबसे ज्यादा मृत्यु और संक्रमितों वाला राज्य महाराष्ट्र है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इसे चिंता का विषय बताया है। इसके लक्षण डेल्टा वेरिएंट से काफी अलग है। Volatile Organic compound (VOC) की कैटेगरी में ये 5वाँ वेरिएंट बन गया है। हांगकांग की यूनिवर्सिटी के एक रिसर्च के दौरान पता चला है कि ओमिक्राँन 70× ज्यादा तेजी से फैलता है। डा० एंजेलिक कोएत्जी के अनुसार ज्यादातर लोगों में थकावट, मांसपेशियों में दर्द, गले में खराश, सूखी खांसी और हल्का तेज बुखार जैसे लक्षण देखने को मिल रहे हैं।
बढ़ते समय के साथ साथ इसका प्रभाव भी लोगों पर हो रहा है।कोरोना से संक्रमित लाखों करोड़ों का आंकड़ा देखने को मिल रहा था और वहीं हम ओमिक्राँन की बात करें तो एक दिन में ये हजारों का आंकडा़ पार कर चुका है। इसके वेरिएंट में अभी सही लक्षण का पता नहीं लग पाया है क्योंकि अभी तक जितने लक्षण देखने को मिले हैं वो सभी मिलते जुलते हैं लेकिन ये वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट से काफी खतरनाक साबित हो सकता है।
ओमिक्राँन वेरिएंट के बारे में कुछ मुख्य जानकारी:
इस वेरिएंट में एक बात साफ नजर आई है कि ये फेफड़ों पर अटैक नहीं कर रहा है क्योंकि कुछ संक्रमकों के सीटी स्कैन से ये साबित हुआ है। सबसे बड़ी बात तो ये है कि जिन लोगों ने कोरोना की वैक्सीन लगवाई है उन लोगों पे ये वेरिएंट पूरी तरह से अटैक नहीं कर पा रहा है। कुछ डाक्टर्स भी हैं जिनके मुताबिक ये वायरस केवल उन्हीं तक सीमित है जिनका इम्यून सिस्टम कमजोर है या उन्हें किसी भी तरह की बीमारी है। इसके अलावा अभी तक जितने भी वेरिएंट आ चुके हैं एक के बाद एक तो उनकी जो समयावधि रही है उसके हिसाब से इन वेरिएंट्स को खतरनाक बताया जाता है।
(ओमिक्राँन से बचने के उपाय/निष्कर्ष)
अगर हमारे शरीर में कोई भी वायरस प्रवेश करता है तो हमें उसके प्रति सावधानी बरतनी चाहिए। ऐसे ही जो ये नया वायरस आया इससे भी बचने के उपाय हमें करना चाहिए ताकि वायरस को फैलने से रोका जा सके। इसमें कोई खास उपाय नहीं बताया गया है कुछ स्पेशलिस्ट के अनुसार हमें नियमित अपने हाथों को धोना चाहिए और अपने आसपास सफाई रखें।
मासक लगाकर ही बाहर निकलें और दूरी बना कर रखें क्योंकि ये वायरस एक दूसरे के छूने से भी फैल रहा है। इसके लिए फाइजर वैक्सीन की बूस्टर डोज को अच्छा माना जा रहा है।
कुछ डाक्टर्स का कहना है कि हमें पूरी तरह से इसके निष्कर्ष के बारे में पता नहीं चल पाया है इसीलिए हमें सतर्क रहना चाहिए क्योंकि भले ही इस वेरिएंट को अच्छी तरह से न पहचाना गया हो लेकिन ये हम सभी के लिए चिंता का विषय है।
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