शीर्षक→कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं
मैं यादों का किस्सा खोलूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।।
मैं गुजरे पलों को सोंचु तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।।
अब जाने कौनसी नगरी में आबाद हैं जाकर मुद्दत से...
मैं देर रात तक जागूँ तो कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।।
कुछ बातें थी फूलों जैसी, कुछ लहजे खुशबू जैसे थे...
मैं शहर-ए-चमन में टहलूं तो,कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं।।
सबकी जिंदगी बदल गई, एक नए सिरे में ढल गई...
किसी को नौकरी से फुर्सत नहीं, किसी को दोस्त की जरूरत नहीं....
"तू" से "तुम" और "आप" हो गए....
मैं गुजरे पलों को सोचूँ तो, कुछ दोस्त बहुत याद आते हैं ।।
धीरे-धीरे उम्र कट जाती है, जीवन यादों की पुस्तक बन जाती है...
कभी किसी की याद बहुत तड़पती है, और कभी यादों के सहारे जिंदगी कट जाती है।।
किनारे पर सागर के खजाने नही आते, फिर जीवन में दोस्त पुराने नही आते ...
जी लो इन पलों को हँस के दोस्त, फिर लौट के दोस्ती के जमाने नही आते ।।
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